गुरुवार, 28 फ़रवरी 2013

नास्तिक वो बला है..





















नास्तिक वो बला है जो चिल्लाता है की मैं नास्तिक हूँ . क्योंकि वो सच्चे अर्थो में नास्तिक है।  
वो कर्म करता है , और फल की इच्छा में कर्म करता है,  क्योंकि वो जानता है की उसके  " श्रम " में वो ताकत है जो उसे परिणाम देगी , वो इतिहास से प्रेरणा लेता है , वो विज्ञान पर विश्वास करता है , वो सवाल करने की हिम्मत रखता है ,वो गलत बात के लिए अपने शिक्षको और अपने बॉस से भी तर्क कर लेता है , वो समाज के मनोविज्ञान को समझता है , वो लोगो के मनोविज्ञान को समझता है , तभी वो अपने विरोधियो से भी प्यार करता है ,अपनी गलती मानने की हिम्मत रखता है, दूसरो की गलती को गलत सिद्ध करने की तार्किक क्षमता रखता है . वो अपने शरीर को समझता है , वो जनता है की शरीर की जैव रासायनिक क्रिया ख़तम होने पर वो मर जाएगा, वो किसी पुनर्जनम को नहीं मानता ,उसे पता होता है की उसे सिर्फ एक जीवन मिला है जीने के लिए . उसके मरने के बाद कुछ नहीं होगा उसके लिए .वो स्वर्ग और नरक इसी दुनिया में देखता है , वो धर्म के सिद्धांतो को अपने तर्कों से ठोकरों पर उडाता है , वो धरम ग्रंथो को मक्कार, हरामखोरो, सत्ता के दलालों ,चाटुकारों, जनता को ठगने ,शोषण करने वालो द्वारा रचित झूठ के पुलिंदे भर मानता है !  धार्मिक लोग गलत काम करते है और फिर भगवान् के सामने चढ़ावे और यात्राओं के जरिये उनकी माफ़ी मांगते है . नास्तिक को ये सुविधाए प्राप्त नहीं है , वो जानता है की उसके गलत कामो को कोई क्षमा करने वाला नहीं है , इसलिए वो गलत काम नहीं करता, और गलति करता भी है तो उसे सुधारने का जतन करता है। वो अपनी गलतिया मानने की हिम्मत रखता है वो अपने छोटो से भी माफ़ी माँगता है , और वो अच्छा ,अच्छा और अच्छा बनता चला जाता है। वो दिमागी रूप से जाग्रत होता है वो अगर 20 साल तक किसी को तहे दिल से माने ,और अगर वो गलत काम कर दे तो, वो उसका विरोध करने की भी ताकत रखता है !वो जानता है की वो अपने माता पिता  से पैदा है और उसकी संताने उससे पैदा हुई है वो मानव विकास के क्रम  को समझता है . इसलिए वो सबसे मोहब्बत करता है . वो जीने का भरपूर मजा लेता है , वो जानता है की दुनिया में हर चीज मानव ने ही बनायी है , वो जानता है की ये दुनिया अपने आप बनी है , वो जानता है की पूरी श्रष्टि , ब्रह्माण्ड और दुनिया अपने आप को चलाने में खुद सक्षम है उसे पता होता है की जिन सवालों का जवाब उसके पास नहीं है उन सवालों का जवाब भविष्य की आने वाली नसले खोज लेंगी . वो अनसुलझे सवालों का जवाब भगवान् की सत्ता में नहीं खोजता। वो भगवान् की सत्ता को खारिज करता है। वो चिल्लाता है की अगर दम है तो भगवान् मेरा कुछ बिगाड़ के दिखाए .वो अपने दुखो और परेशानियों के कारण खुद खोज कर उन्हें हल करता है . वो परिवर्तन से नहीं घबराता , वो आँख मूँद कर किसी सिद्धांत पर यकीन नहीं करता , वो उसका अध्यन करके उसको परखता है .वो  अपने आपको असीम संभावनाओं से भरा मानता है वो लिखने की कोशिश करता है , वो कविता कहने की कोशिश करता है. वो नाचता है वो गाता है ! वो मानव समाज की असीम शक्ति और उत्पादन क्षमता को जानता है , उसे विरोधी शक्तियों की समझ होती है, वो इससे निकलने के उपाय जानता है , इसलिए वो हर शोषण कारी शक्ति के खिलाफ बगावत करता है , अपनी क्षमता के हिसाब से वो सामजिक बदलाव के लिए प्रयास करता है , वो पढता है , समझता है फिर सोचता है, वो अंधभक्ति नहीं करता। वो जानता है की ये दुनिया उसके लिए है , उसके माँ बाप और उसके बच्चो  के लिए है उसके दोस्तों के लिए है हर इंसान के लिये है ,हर मजदूर के लिए है ,वो किसी जमीन के टुकड़े को देश नहीं मानता, वो जनता को देश मानता है ,वो अपने देश से प्यार करता है वो दुसरे देश से प्यार करता है वो हर देश के लोगो को अपना भाई मानता है वो कोई रंग , नस्ल,जाती, धर्म ,सम्प्रदाय को नहीं मानता ,वो सिर्फ इंसान को मानता है .वो जानता है की उसकी म्रत्यु कभी भी हो सकती है , वो अपने लिए जीने के तरीके खोजता है. वो किसी मोक्ष और निर्वाण को नहीं मानता , वो अच्छे इंसान के रूप में ढलने को ही मोक्ष मानता है वो शोषण के खिलाफ जनता के संघर्ष को ही जीवन यात्रा मानता है .वो ज्योतिष, अरदास, नमाज,पूजा, पाठ, छुआछुत, कर्मकांड, धार्मिक गुरु , पंडो , पादरियों , मुल्लो, पीर, फ़कीर ,मजार मंदिर,मस्जिद ,गिरिजा,   और उनके चमत्कारों पर हंसता है ,वो इनसे चंगुल से बचने के लिए लोगो को समझाता है ..वो अपनी नास्तिकता पर गर्व करता है ,
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(विनोद हौंसलेवाला "बाग़ी " को समर्पित )

मंगलवार, 26 फ़रवरी 2013

"मार्क्सवाद" और भारत में जाती व्यवस्था

फेसबुक पर हमारे एक मित्र "प्रचंड नाग जी" ने अपने कुछ सवालात रखे,  विषय था की ""मार्क्सवाद के अनुसार भारत में जाती व्यवस्था से उत्पन्न शोषण के लिए क्या समाधान हो सकता है"
मैंने उनके सवालों का अपने अनुसार जवाब देने की कोशिश करी और ये सम्पूर्ण बहस एक लेख के रूप में संकलित कर दिया ,जिससे अन्य  साथियों की प्रतिक्रया भी जान सकू।





प्रचंड नाग जी  --
भारत में ब्राह्मण पूंजीपति नहीं थे लेकिन शोषण था व अब भी है । शूद्र-अतिशूद्र को अपने मनपसंद व्यवसाय करने से भी रोका जाता है । इस व्यवस्था को उखाड़ने के बारे में मार्क्स क्या कहते हैं

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  • उत्तर -
    आप ये जानते ही होंगे की किसी भी व्यवस्था में शोषण करने के लिए शाशक वर्ग सिर्फ बल प्रयोग से ही व्यवस्था को टिकाये नहीं रख सकता,,उसके लिए जनता को जात धरम और क्षेत्र के नाम से बाटना और समाज में जनता के बीच वर्गों का होना जरुरी होता है, और ये वर्ग आर्थिक , जात और धरम के नाम पर पैदा किये जाते है।
    सबसे पहले तो ये जानिए की भारत में पूँजी वाद कभी सही से डेवलप हो ही नहीं पाया ! आज भारतीय समाज एक अर्ध सामंती अर्ध पूंजीवादी देश है, मतलब की इसके पारंपरिक ढांचा तो सामन्ती है और आधौगिक विकास विदेशी पूँजी के माध्यम से हुआ है , लेकिन पिछले कुछ सालो में अब खुद देशी पूंजीपति भी बहुत मजबूत हुए है .
    ब्राह्मणों द्वारा या तथाकथित उन्ची जातियों द्वारा निचले तबके के लोगो का शोषण एक सामंती लक्षण है,,,मतलब की राजे महाराजे और जमींदारों वाला सिस्टम , कुछ यूँ समझिये की गरीबो या तथा कथित निचली जातियों के शोषण का चक्र हजारो साल पहले हुआ था , जिसमे उस समय भी सत्ता पर काबिज लोग जनता का शोषण करने के लिए बल प्रयोग के साथ साथ उन्हें सांस्क्रतिक रूप से भी दिमागी रूप से गुलाम बना कर रखते थे,,

  • 1- जैसे की 84 हजार योनियो वाला सिद्धांत
    2- कर्म करो फल की इच्छा मत करो वाला सिद्धांत
    3- राजा पिता सामान है, प्रजा को राजा की सेवा करनी चाहिए आदि आदि ..

  • जनता में वर्ण व्यवस्था को धर्मग्रंथो के माध्यम से जायज ठहराया गया , और फिर पूर्व्जनाम की थिओरि जनता को समझाई जाती थी, जिससे की लोग दिमागी रूप से गुलाम हो जाते थे और चुपचाप शोषण का शिकार होते रहते थे,की कंही अगले जनम में पशु योनि में ना चले जाये ,और इन सब बातो को जनता में पहुचाने और थोपने का जिम्मा ब्राह्मण बिरादरी को दिया गया ! जिसके तहत  तमाम
    धर्मग्रन्थ लिखे गए जिनका मुख्य सन्देश ये था की , आपके सुख दुःख को नियंत्रण करने वाला भगवान् है और आपका काम है की चुप चाप राजा (शाशक ) वर्ग की सेवा करो .अब अगर कोई शोषित वर्ग या शुद्र ज्ञान प्राप्त करने की कोशिश करता था तो उसका बलात हनन कर दिया जाता था,
    रामायण में शम्बूक और महाभारत में एकलव्य इसी विद्रोह को दबाने के उद्दरहण के रूप में समझे जा सकते है .लेकिन जो लोग शाशक वर्ग के लिए खतरा नहीं होते थे उन्हें अपने ग्रंथो में प्रशंषित किया जाता था. शबरी और केवट का उद्दरहण आपके सामने है जिसके द्वारा ये संदेश देने की कोशिश की गयी की राजा के प्रति भक्ति भाव रखो और ज्ञान प्राप्त करने या विद्रोह करने की मत सोचो, क्योंकि उन्ही की सेवा करके आप 84 हजार योनियो के चक्कर से बच सकते हो आदि आदि .
    तो ब्राह्मण जाती और तमाम और साधन इस व्यवस्था को टिकाये रखने के टूल के रूप में काम करते थे . जो की बाद में और विभत्स होता गया,,,परन्तु व्यवस्था के मूल में भी वोही भाव था,. की उत्पादन के साधनों (व्यापार, खेती, उद्योग धंधो ) पर शशक वर्ग का कब्जा रहे और जनता का शोषण चलता रहे और जनता में सभी शामिल थे शूद्र , माध्यम वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर हर जाती के लोग .और इनके बीच भी वोही सड़े हुए सामन्ती संस्कार और अंतर ज़िंदा रहे (जात पात आदि ) ,क्योंकि व्यवस्था में सबसे ऊपर सता पक्ष के लोगो का भाव शोषण करने का था,,ना की जनता की सेवा का,,इसी लिए ये अंतर बनाए रखे गए शोषण को जारी रखने के लिए .
    सार के रूप में बस ये जानिये की शोषक वर्ग का एकमात्र लक्ष्य अपना मुनाफा बढ़ाना और शोषण करना होता है ,
  • प्रचंड नाग जी  --  निजी मुनाफे से रहित समाज कब परिपक्व हो जाता है ? कितना समय लगता है ? कोई उदाहरण ?***********************************************
    उत्तर -
    ये इस बात पर निर्भर करता है की मजदूरों की पार्टी कितनी मजबूत है .मतलब अगर उसका सत्ता ( न्यायालय + नौकर शाही + फ़ौज पुलिस ) पर पूर्ण नियंत्रण होना चाहिए और ये तब हो सकता है जब उत्पादन के साधनों ( उद्योग,खेती, खानों , बैंक , सूचना प्रसारण और अन्य प्रमुख संस्थान ) पर जनता का कब्जा होना चाहिए .
    जब स्टेट मशीनरी और सत्ता ये सुनिश्चित कर लेती है तब समाज का आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से एक सकारात्मक विकास होता है और सारे सड़े हुए सामन्ती बंधन टूट जाते है और वर्गों का आर्थिक और सांस्कृतिक अंतर मिट जाता है .
    इसमें समय के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता इसमें 50-100 या 200 साल भी लग सकते है ,क्योंकि जो पार्टी निजी मुनाफे पर आधारित व्यवस्था को बर्बाद करेगी तो पूंजीपति वर्ग उसे दोबारा वापस पाने के लिए हर कदम उठाएगा ,और ये संघर्ष निश्चित रूप से हिंसक होगा।यहाँ पर मजदूरो की मशीनरी (फ़ौज +पुलिस) पूंजीपति वर्ग का विनाश सुनिश्चित करेगी ,मतलब मजदूरो की तानाशाही की जरुरत पड़ेगी,
    उद्दरहण के रूप में आप रूस और चीन की क्रांति के बारे में पढ़ सकते है ,,जिसमे उन्होंने 50-100 सालो तक जनयुद्ध चला कर मजदूरो की सत्ता की स्थापना करी और उतपादन के साधनों का राष्ट्रीयकरन कर दिया .जिससे समाज में जाट पात और धरम के अंतर खुद बा खुद मिटने शुरू हो गए थे .

    (रूस और चीन के टूटने की वजह एक अलग विषय है,,,,,आप चाह्हे तो इस पर अलग से डिस्कस कर सकते है )
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  • प्रचंड नाग जी  --(1) लोगों की गरीबी नष्ट होने से क्या कोई जाति-धर्म त्याग देता है ?
    (2) मजदूरों के शोषण को उत्पादन के साधनों पर कब्जा करके खत्म किया जा सकता है । जाति के आधार शोषण को उत्पादन के साधनों पर कब्जा करके कैसे नष्ट किया जा सकता है ?
    (3) केन्सर के बेक्टीरिया को खत्म करने वाली दवाई से क्या टीबी का बेक्टीरिया खत्म किया जा सकता है ?
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    उत्तर -
    ये आपके सवाल सामन्ती संस्कारों को ध्यान में रखते हुए किये गए है .आप उस समाज की कल्पना करिए की जहा पर एक सीवर लाइन साफ़ करने वाले मजदूर और फक्ट्री में एक मनेजर की आमदनी में कोई ख़ास फरक नहीं होगा,,,दोनों को बुढापे में पेन्सन मिलेगी, बच्चो की सिक्षा और उनके भविष्य के रोजगार की जिम्मेदारी सरकार की होगी, सभी स्कूल सामान होंगे, सभी अस्पताल सामान होंगे,और इलाज लगभग मुफ्त होगा।
    ऐसे समाज में किसकी क्या जाती है किसी को कोई मतलब नहीं होगा और अगर कोई तथाकथित रूप से भंगी जाती का है तो भी वो किसी की कोई परवाह अहि करेगा,,,,क्योंकि उसके बच्चे भी उसी स्कूल में पढेंगे जहा एक ब्राह्मण के, वो भी वंही  इलाज करवाएगा जहा एक तथाकथित सवर्ण  जाती का इंसान इलाज करवायेगा।
    और जाती एक व्यक्तिगत मसला होगा, लेकिन फिर भी अगर कोई जात के आधार पर भेद करने को कोशिश करेगा तो उसके लिए कानून होंगे .इसे कोई यूटोपियन सिद्धांत मत समझिएगा ये एक प्रयोग हो चुकी व्यवस्था है . और एक दो नहीं पूरे 80 साल तक ये चला था .
    ( ये फिर क्यों टूट गया ---ये अलग बहस का विषय है ,,,आप चाहे तो इस विषय पर भी बात हो सकती है )

  • प्रचंड नाग जी  --  केन्सर के बेक्टीरिया को खत्म करने वाली दवाई से क्या टीबी का बेक्टीरिया खत्म किया जा सकता है ?
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  • उत्तर -मार्क्सवाद ने अनुसार यहाँ पर कोशिश ये होनी चाहिए  कीऐसा माहौल हो की जिसमे किसी भी प्रकार के बैक्टीरिया पैदा ही नहीं होगा , क्योंकि सभी बीमारियों के बैक्टीरिया गन्दगी में पैदा होते है . और वो गन्दगी है पूंजीवादी सिस्टम जो की सिर्फ मुनाफ़ा कमाने और शोषण पर आधारित होता है  जब ये गन्दगी ख़तम हो जायेगी तो बैक्टीरिया भी अपने आप ख़तम हो जायेंगे ,,और बैक्टीरिया पैदा करने वालो को भी क्रांतिकारी ताकतों के द्वारा ख़तम कर दिया जाएगा
  • प्रचंड नाग जी  --  मजदूरों की सत्ता कैसे चुनी जाएगी ? मजदूरों की पार्टी कौन सी होगी यह कौन निर्धारित करेगा ? वे कौन होंगे जो पूंजीवादी व्यवस्था से बचाएंगे ?************************************************
  • उत्तर -
    आपके इस सवाल का जवाब शायद इस लेख में मिल जाए . पहले स्पष्ट करना चाहूँगा की मैं नक्सलियों की हिंसा का समर्थन नहीं करता लेकिन ये लेख उनके सिद्धांत को समझने की कोशिश मात्र है
    http://www.facebook.com/photo.php?fbid=10200221202949931&set=o.487351021298933&type=1&theater

सोमवार, 25 फ़रवरी 2013

आतंकवादी

नेता - ये आतंकवादी है ,,,,,,,ये सब आतंकवादी होते है
भीड़ - अच्छा ,,,लेकिन  ...??.
नेता - लेकिन वेकिन कुछ नहीं ....ये आतंकवादी ही है ,,ये सब आतंकवादी है
भीड़ - हां ,,,,लगता तो है ...शायद नेताजी सही कह रहे है
नेता - इन्होने स्कूल की ईमारत तोड़ दी , इन्होने रेलगाड़ी में बम फोड़ दिया .देखो ये लोग आतकवादी है
भीड़ - हां नेताजी शायद आप सही कह रहे हो .
नेता - हां हम सही कह रहे है,,,टीवी पर समाचार देखो, वो भी येही कहते है - ये आतंकवादी है .
भीड़ - लेकिन ये तो गरीब जंगली लोग है
नेता - गरीबो के पास बन्दूक कहा से आई ?,,,,,गरीबो के पास बन्दूक नहीं हो सकती,,,,ये आतंकवादी ही है।
भीड़ - हां ,,आप सही कह रहे हो,
भीड़ - मारो ,,मारो सालो को ,ये देश के लिए ख़तरा है। इनपे बम गिराओ, टैंक चलाओ , ख़तम कर दो सबको ..
मारो इन आतंकवादियों को,,मारो मारो मारो मारो।
नेता - बोलो भारत माता  की जय
भीड़ - भारत माता की जय . भारत माता की जय। भारत माता की जय
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नेता  - सर टेंडर निकलवा दें बाक्साईट की खानों का ... ....???
सिंघानिया साहब - हांजी सर निकलवा दीजिये,,,,और धन्यवाद .

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मंगलवार, 12 फ़रवरी 2013

एक कविता

शायद कई भाइयो को बुरा लगे ,,,,,
लेकिन मैंने आज तक पूरी जिन्दगी में यही तजुर्बा  किया है की " इस मुल्क में पढ़े लिखे जाहिल लोगो की तादात शायद अफ्रीका महादीप की कुल आबादी से भी ज्यादा है।मेरे उन्ही पढ़े लिखे जाहिल भाइयो को समर्पित एक कविता .....कविता क्या बस ये समझ लीजिये की  "बकैती" मारी है।

पूरी बकैती एक साँस में ख़तम करनी है  ....तो चलिए शुरू करते है ...दोनों हथेली फैला कर मारिये ताली और बोलिए ...हान्जी 
हमने अंग्रेजो को भगा कर देश स्वतंत्र करा लिया ...............हान्जी
हमने भारत में 1947 में अगस्त क्रांति कर दी ..................हान्जी
भारत में समाजवाद आ गया ........................................हान्जी
भारत 20  साल में  सबसे शक्तिशाली देश होगा .................हान्जी
हमने हरित क्रांति कर दी .............................................हान्जी
चीन हमारा दुश्मन है ...................................................हान्जी
हमने चीन को हरा दिया ..............................................हान्जी
पकिस्तान हमारा दुश्मन है ..........................................हान्जी
हमने पकिस्तान को हरा दिया ......................................हान्जी
हमने पकिस्तान को फिर से हरा दिया ...........................हान्जी
भारत अगले 20 साल में  सबसे बड़ी इकोनोमी बनेगा .......हान्जी
भारत परमाणु शक्ति संपन्न बन गया ...........................हान्जी
गणेश जी ने दूध पी लिया ..........................................हान्जी
क्यों पी लिया ..........................................................हान्जी
बस मन करा पी लिया .............................................हान्जी
लड्डू से बोर हो गए इसलिए दूध पी लिया ...................हान्जी
भारत ने कारगिल युद्ध जीत लिया ..............................हान्जी
कांग्रेस का हाथ गरीबो के साथ ...................................हान्जी
पकिस्तान हमारा दुश्मन है ........................................हान्जी
ट्वीन टावर लादेन ने गिरवाया ....................................हान्जी
गाज़ा और फिलिस्तानी आतंकवादी है ..........................हान्जी

हमारे वेद जर्मनी वाले चुरा के ले गए .........................हान्जी
वेदों को मुसलमानों ने एडिट कर दिया .........................हान्जी
रावन बुरा था .........................................................हान्जी
राम अच्छे थे .........................................................हान्जी
सानिया मिर्जा बुरी है ..............................................हान्जी
साइना नेहवाल अच्छी  है ...........................................हान्जी
भंगी चमार ....हरामी होते है .....................................हान्जी
कम्युनिस्ट चीनी एजेंट होते है ....................................हान्जी
वाल मार्ट से भारत को  नुक्सान नहीं होगा ...................हान्जी
भारतीय सेना में भ्रष्टाचार नहीं है ................................हान्जी
अन्ना ही क्रांति कर सकते है ....................................हान्जी
अमिताभ राजीव गाँधी के मित्र है ...............................हान्जी
अमिताभ मुलायम जी के मित्र है ...............................हान्जी
अमिताभ मोदी के मित्र है ........................................हान्जी
अटल जी ही देश सुधार सकते है ..............................हान्जी
आरएसएस देशभक्त है .............................................हान्जी
मुसलमान गद्दार होते है ..........................................हान्जी
रामदेव एड्स का इलाज कर सकता है .......................हान्जी
रामदेव की उम्र 105 साल है ......................................हान्जी
नरेन्द्र मोदी विकास पुरुष है ......................................हान्जी
दिल्ली मेट्रो रेल गुजरात में बनती है .........................हान्जी
भारत विश्व गुरु बनेगा ............................................हान्जी
ये अंतहीन कविता है .............................................हान्जी
आप भी अपने अनुभव जोड़े ....................................हान्जी

कविता पूरी पढ़ ली .??.......................................................हान्जी
आप कुढ़ गए ....??................................................................हान्जी फिलिस्तानियो का समर्थन अच्छा नहीं लगा ..??...................हान्जी
सानिया और साइना की तुलनाअच्छी नहीं लगी .??...............हान्जी


गुरु हिन्दुस्तान में जम्हूरियत है ...जो मर्जी आएगी वो लिखेंगे ..
  

सोमवार, 4 फ़रवरी 2013

शुद्धिकरण


{शुद्धिकरण }

बाजार से वापस लौटते हुए घर में मेरे ताऊ जी धडधडाते हुए गुस्से में आये  ...और जोर जोर से चिल्लाने लगे ..
" सत्यानाश हो जाए उस नाश पिटे का....बेशरम कही के ,ना जाने कब सुधरेंगे,,,,
मैं बोला   "अरे ताऊ जी क्या हो गया,,किसी ने कुछ बोला हो तो बताओ,,अभी मैं जाता हूँ ...."
अरे कुछ नहीं बेटा  .... पीछे अग्रवाल  साहब वाली गली में से आ रहा था, ,,,तभी एक गंदा सा कूड़ा बीनने वाला बच्चा गली में घुस कर लगा गन्दगी से खेलने,,,और अन्धो की तरह मुझसे टकरा गया .
नामुराद जब देख रहा है की छोटी सी गली है तो रुक नहीं सकता था,,,की मैं निकल जाऊ तब घुसे , सब गंदा कर दिया साले ने ..
जा बेटा ज़रा पूजा की अलमारी से गंगाजल निकाल के ले आ ..
"ताऊ जी ...गंगा जल तो ख़तम हो गया ..."
अरे तो ऊपर वाले खाने में गौमूत्र रखा है . उसे ले आ .
वापस आकर देखा तो ताऊ जी नहा कर वापस आ गए थे ....उन्होंने मुझे कुछ बूँद गौमूत्र  लेकर पीया ,,और बोले

""ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोsपि वा ।
यः स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः ।"""

मैं खडा खडा सोच रहा था अपने महान धरम के बारे में , जो इंसानों को इंसानों के छूने मात्र से अपवित्र करता है ,,और जानवरों के मूत्र से शुद्धिकरण कर देता है।