सोमवार, 21 अप्रैल 2014

सकल ताड़ना के अधिकारी

गुजरात में सात दिन पहले हेलोदर गाँव में सरेआम चौराहे पर ज़िंदा जला दी गयी दलित महिला के नाम *****************************



बिना जाने समझे
अब तक तुमने मेरे बारे में अपनी राय बना ली होगी।
जैसे बनायी थी एक सफ़ेद चलती बस में इज्जत लुटती उस लड़की के लिए।
चालू थी , वर्ना इतनी रात में क्या कर रही थी अकेले लड़के के साथ ?

इसी तरह। अब  चाहो तो तुम मेरे बारे में भी अपनी राय बना सकते हो .
हो न हो ये दलित औरत भी शर्तिया ही ....  रही  होगी कोई छिनाल, रण्डी ,चालू ,मुँहजोर ?
या कुछ और नाम दे दो , जो भी तुम लोगो ने सीखा है अपनी महान संस्कृति से.
लेकिन भूलना मत ...
व्यवस्था, जात और रवायतों की तीन तीन परतों  में लिपटे ..
औरत के शोषण से भरे ग्रंथो के सूत्रों की जब बखियां उघेड़ी जाएंगी।
उस दिन तुम्हारी वर्णव्यवस्था के मर्दवादी होने की पोल भी खुल के रहेगी।
क्योंकि बख्शा तो तुमने सीता को भी नहीं था।

बुधवार, 9 अप्रैल 2014

रहनुमा

 ज्यादा इतराओ मत , ज्यादा खुश मत होओ।
ये जो छदम विकास कि गपोड़ कथाओ पर तुम इठला रहे हो
इनकी असलियत तुम भी जानते हो। .

तुम्हारी इस शालीनता के पीछे छिपे
जो नफरत के समंदर  उछल रहे है
वो साफ़ साफ़ दिखते है

एक मज़हबी नफ़रत का ज़हर जो तुम्हारे दिमाग में है
उसको पनाह देने वाला रहनुमा आज उफान पर है
तुम उसके दम पर ही कूदते हो ना ?

लेकिन तुम भूल रहे हो। .
वो रहनुमा नहीं सिर्फ एक पालतू कुत्ता है। 
और उसके मालिको को सिर्फ मुनाफ़ा दिखता है।

उस मुनाफे में जब कमी आएगी तो वो पहला धक्का तुम्हारे रहनुमा को मारेंगे
और फिर तुम्हारी रगो में बहते लहू को निचोड़ कर अपना मुनाफा खींच लेंगे
बिना ये जाने के तुम हिन्दुआन हो या मुल्ले!

उस दिन तुम्हारा रहनुमा अपनी बेरोजगारी पर आंसू बहा रहा होगा।