शुक्रवार, 19 अप्रैल 2013

सॉरी श्री राम .... I am not convinced

सामंतवादी चरित्रों का पूजन पूरी तरह जातीय दंभ और शाशक वर्ग की सत्ता बनाए रखें के लिए समाज को सुनाता जाता रहा है .
ये वाकई अद्भुत और विचार करने योग्य प्रशन है की आज तक कोई भी भगवान् वर्ण व्यवस्था के सबसे निचले पायदान पर घोषित समाज के घर पैदा क्यों नहीं हुआ ?
ये सभी चरित्र या तो ब्राह्मण या फिर ठाकुर परिवारों में ही पैदा हुए. श्री राम ,परशुराम ,कृष्ण, बलराम ,और सभी काल्पनिक चरित्र पूरी तरह या तो शाशक वर्ग में पैदा हुए और उनके साथ खड़े नजर आते है या फिर उनका साथ देते हुए तथाकतित धर्म युद्ध लड़ने के नाम पर विद्रोह को दबाने के लिए लड़ते है । राम , परशुराम और कृष्ण द्वारा किये गए सारे कृत्य इधर उधर से लीपा पोती वालो तथ्यों और तर्कों द्वारा धार्मिक घोषित किये जाते रहे है . बाली का वध हो या शम्बूक की ह्त्या , महाभारत का युद्ध हो या परशुराम का नरसंहार , हिन्दुओ की तथाकथित उच्च जातियाँ येन केन प्रकारेण इन सभी कृत्यों को धर्म रक्षा के लिए बताती है .
जब प्रणय निवेदन कर रही स्त्री स्वर्णनखा की नाक काट देते है और दोंनो भाई मिल कर उससे चुहलबाजी करते है तब ना जाने वो कौन से धर्म का पालन कर रहे होते है , और खुद रामायण में सैकड़ो बार "महाज्ञानी " " महात्मा"  "महा विद्वान् " जैसे शब्दों से अलंकृत रावण की बात आती है तो वो अधर्मी और पापी घोषित किया जाता है. जबकि राम कथा से जुड़े सारे ग्रंथो में ये लिखित रूप से मौजूद है की रावन ने कभी सीता पर बल प्रयोग नहीं किया (अपहरण को छोड़ कर ) और हमेशा उससे मिलने जाते हुए अपने पूरे परिवार और धर्मपत्नी मंदोदरी के साथ ही गया.  सीता माता और स्त्री पात्रों के साथ उसके व्यवहार को इतना उत्तम दिखाया गया है कि कथा के नायक श्री रामचंद्र जी का क़द भी उसके सामने छोटा पड़ जाता है । क्षत्रिय कभी भागते हुए शत्रु को नहीं मारता तो फिर भी बाली वध को ना जाने किस द्रष्टि से धार्मिक ठहराया जाता है ?महाराज बाली का तो वो प्रताप था की रावन जैसे को भी अपनी बगल में दबा के सिक्स मंथ तक घुमते रहे, और बोले बेटे रावण तू तो चीज क्या है ,और राम ने महाराज बाली को एक बठला हाउस स्टाइल में एक फर्जी मुठभेड़ में धोखे से मारा, रामभक्त बाली के दुसरे की शक्ति को खींच लेने के वरदान के कारण राम का ये कृत्य सही ठहराते है, तो कुछ पढ़े लिखे अंध भक्त ये कहते है की बाली ने अपने छोटे भाई का राज्य और पत्नी छीन कर अधर्म किया था .क्या श्री राम उसके इस अधर्म के लिए उसे सामने से ललकार कर सजा नहीं दे सकते थे,??? या उन्हें डर था की कही बाली उनका ही शिरेच्छेद ना कर डाले ? फिलहाल बाली को मारने के बाद उन्होंने सुग्रीव की पत्नी रोमा की अग्नि परीक्षा क्यों नहीं करवाई ,जबकि रोमा तो बाली के साथ मजबुरी वश लेकिन स्वेच्छा से रही थी उसके भरष्ट होने की ज्यादा सम्भावना थी,
और अगर नही करवाई अग्नी परीक्षा तो फिर सीता के लिए अलग कोड ऑफ़ कंडक्ट क्यों अपनाया गया ??? इसलिए सारी बात कि एक बात काल्पनिक उपन्यास में जो मर्जी भये वो लिख दो, सदियो कि मानसिक गुलामी वाले लोग भरे पडे किसी भी काल्पनिक कहानी पर विश्वास करने के लिए .......आखिर एकता कपूर ऐवैइ थोड़े पीट रही है पैसा काल्पनिक कहानिया दिखा दिखा कर।
आग में गुज़रने की परीक्षा औरत से कोई बुद्धिजीवी नहीं लेता और झूठे आरोप पर कोई पति और राजा अपनी पत्नी और अपने नागरिक के मानवाधिकारों का हनन नहीं करता और गर्भावस्था में तो आज का पतित समाज भी किसी बुरी औरत तक के साथ बदसुलूकी की इजाज़त नहीं देता । तब मर्यादा की स्थापना के लिए जन्मे सदाचारी श्री रामचंद्र जी एक सती के साथ उसकी इच्छा और न्याय के विपरीत उसका त्याग क्यों कर दिया जबकि खुद उनके भाई लछमन और बाकी घरवाले रोकते ही रह गए।
इस काल्पनिक कथा में दलितों और समाज की निम्न वर्ग को भी बस राम के सेवक के रूप में ही दिखाया गया,,,,,चाहे वो शबरी प्रकरण हो या केवट की कथा , या फिर खुद वाल्मीकि का चरित्र भी उनकी कपोल कल्पित प्रशंशा में ही लगा रहा .
युद्ध का मतलब ही होता है हिंसा , मारकाट, हजारो विधवाए इस तरफ हुई और हजारो विधवाए उस तरफ हुई, निर्दोष लोगो की ह्त्या और दुर्दांत आर्थिक और सामाजिक संकट . और एक अवतार के लिए ये भी सब धर्म युध्ह घोषित कर दिया गया.  अंततः सारे धार्मिक ग्रंथो की तरह ये काल्पनिक कथा भी शाशक वर्ग के महिमामंडन से भरी हुई है जिसमे नैतिक और अनैतिक कामो का  चरित्रों के हिसाब से और वर्ण व्यवस्था के प्रतिनिधित्व करते चरित्रों को ध्यान में रख कर अर्थ निकाले गए है .

गलती मर्यादा पुरषोत्तम राम की नहीं है ...गलती या कहे षड्यंत्र तो उन शोषण कारी शक्तियों का है जो आज भी इन सामंती गपोड़ ग्रंथो को प्रासंगिक बता कर अशिक्षा , अंधभक्ति और शोषण आधारित सामाजिक और जातीय ढांचे को बनाये रखना चाहते है ......ताकि इन्हें अपनी सुविधानुसार हर अनैतिक काम को सही ठहराने के लिए आधार मिलता रहे .

4 टिप्‍पणियां:

  1. ek bar ramayan ko ek sachche insan bankar padhiyega apne sabhi prashnon ke uttar mil jayenge .supnakha kee seeta se tulna karna aapko shobha nahi deta vah jis kamna se vahan ayi thi uska yahi hashr tha aur bali ne bhai kee patni jo ki beti sadrish hoti hai par balat kabja kiya jiska uske var ke karan ram ko ye hashr karna pada aur rahi bat ravan kee to vah kisi samman ka patr n kabhi tha n kabhi hoga .seeta haran ke alawa usne bahut see nariyon ka apharan kiya tha aur ram ji ne use sakal jagat kee nari ke samman ke liye mara tha .isliye aap sahmat hon ya n hon aaj jakar mandir me ram ji se apni bhool ke liye kashma mang lijiyega ve maryada purshottam hain aapko kshma kar denge .आभार रामनवमी की बहुत बहुत शुभकामनायें औरत की नज़र में हर मर्द है बेकार . .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MANजाने संविधान में कैसे है संपत्ति का अधिकार-2

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  2. श्री राम की व्यथा न तत्कालीन अवध प्रजा समझ पाई थी और न अब आप जैसे विचारक .ये भावनाओं के उत्कर्ष पर पहुँच चुके राम-भक्त ही अनुभव कर सकते हैं अन्य नहीं -जय सियापति राम चन्द्र जी की !

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  3. आदरणीय शिखा जी एवम शालिनी जी ,
    मैं हाथ जोड़ कर आप लोगो से माफ़ी माँगता हूँ - की अगर आपको मेरे इस लेख से दुःख पहुचा या आपकी धार्मिक भावनाए आहत हुई .मेरे ये लेख लिखने का ऐसा किसी भी प्रकार का कोई इरादा नहीं था. मैंने सिर्फ वोही लिखा जैसा की मैं सोचता हूँ . जैसा की मैं श्री राम के चरित्र को समझ पाया हूँ
    लेकिन - किसी को मेरे विचार ठीक नहीं लगेंगे ......इस डर से अगर मैं अपने भाव व्यक्त ना करू तो शायद मैं खुद अपने प्रति इमानदार नहीं होउंगा और फिर मैं वो लिखूंगा जो सबको अनुकूल लगे और बाकी लोगो के मुताबिक हो ......ये स्तिथि चरित्र में एक प्रकार का बनावटीपन पैदा कर देती है और फिर आदमी खुद अपने प्रति इमानदार नहीं रहता .
    इससे बेहतर ये होगा की मैं आपसे माफ़ी मांगू और श्री राम द्वारा किये गए इन कृत्यों का दोबारा से समझने की कोशिश करू .आशा है की आप मुझे इतना डिस्काउंट जरूर देंगे .
    एक बार फिर आपसे क्षमा माँगता हूँ .

    आभार
    ********************
    विश्वनाथ


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