बुधवार, 3 अगस्त 2016

विकसित सभ्यता

असल में ये माना जा चुका है की
दुनिया में सभ्यताएं अलग अलग चरणों में है
और परिपक्व हैं।
सबसे सभ्य होने वाले सरदार बन बैठे हैं।
सभ्यता  के पायदान पर सबसे आगे वाले और उनके पिछलग्गू दोनों में होड़ है
के तुम महान हो और हम भी बस तुम्हारे आस पास ही हैं

लेकिन ढोर चराने वाले और कच्चा मांस खाने वाले
अब तक इस धरती पर बोझ माने जाने लगे हैं
हरामी रण्डी मादरचोद से भी नीचे जाकर शब्दो की खोज शुरू हुई है
कोई तो शीर्षक देना पडेगा इन इंसानों की खाल में इन पिछड़े जंगलियों को।

असल में ये माना जा चुका है की सभ्यता के विकास की ये अंतिम स्थली थी
बस अब यही रहेगी
बस अब इसे ही भोगो

और ये तब तक होगा
जब तक कोई और अरबो साल अगड़े विकसित गोले के लोग
अपने आसमानी सैर सपाटे के दौरान
हमें कीड़े मकोड़ो की तरह कुचल कर
आगे ना बढ़ जाए

असल में धरती की इन विकसित सभ्यताओं को तब शायद ये एहसास हो जाएगा
की वो अब भी जंगली अवस्था में ही थे।
मार्क्सवाद के अंतिम सूत्र शायद तब भी लिखे जाएंगे।

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपके फैन हो गया हूं,,आपका मोबाइल नंबर दीजिये या मुजे 7742959973पर msg कर सकते है

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  2. में भी नास्तिक हु पक्का नास्तिक हु,,आपको मेरे ग्रुप से जोड़ना चाहता हु। बदलाव के इस दौर में में आपके साथ हु।7742959973 पर msg करे अपना नाम लिखकर।

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