शनिवार, 28 सितंबर 2013

दो कविताएं मेरी ...


1 - पूर्वाग्रह - 
पूर्वाग्रह
  बहुत खतरनाक होता है
पूर्वाग्रह आपके चरित्र , आपके ज्ञान ,आपके व्यक्तित्व को
हमेशा एक जगह रोके रखता है
ये आपको नफरत सिखाता है
नफरत जो की अगली पीढ़ी में चली जाती है
फिर अगली सभी पीढ़िया भी इसे अपना गुणधर्म बना लेती है
पूर्वाग्रह एक पूरी कौम को वहशी बर्बर और आतंकी घोषित कर सकता  है
पूर्वाग्रह अपने अन्दर की गलतियों और कमियों को डिस्काउंट देता है

पूर्वाग्रह का दूसरा नाम शुतुरमुर्ग भी हो सकता है .
शुतुरमुर्ग बहुत बड़ा होता है ..बिलकुल पूर्वाग्रह की तरह .
लेकिन इसे बचाए रखने के लिए सच्चाई की आंधी आने पर ..
आपको शुतुरमुर्ग की तरह अपना सर जमीन के अन्दर धंसाना होता है
पूर्वाग्रह का सर हमेशा सच्चाई से दूर जमीन के अन्दर धंसा होता है .
तभी ये अपना अस्तित्व बचाए रख सकता है
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2 - धार्मिक लोग
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कुछ लोग सच्चाई को नहीं स्वीकारते ...
ये जानते हुए भी की जो वो देख सुन रहे है सच है ,
वो खुद अपने मन और दिमाग को इधर उधर मोड़ते है
लेकिन सच्चाई को नहीं स्वीकारते .
वो उस सच्चाई को ना स्वीकारने के लिए मेहनत करते है ,
वो सच को ना स्वीकारने के लिए दुसरे की कमियों की खोज में रहते है .
दुसरे की कमी दीखते ही वो खुश हो जाते है .
फिर वो इसे अपना सूत्रवाक्य बना कर अपने झूठ को महान बताने लगते है .
लेकिन वो हमेशा डरते है , की कोई फिर दोबारा उन्हें सच्चाई ना दिखा दे .
वो इसे छुपाने के लिए फिर मेहनत करते है .
ऐसा अधिकतर धार्मिक लोग ज्यादा करते है .
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3 - गाब्रीएल गार्सीया मारकेज़ की एक कविता से प्रेरित _
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मनुष्य सिर्फ़ और सिर्फ़ एक ही बार  जन्म नहीं लेते
वो सिर्फ तब ही जन्म नहीं लेते  जब उनकी माताएं उन्हें पैदा करती हैं
जीवन बार बार उन पर अहसान करता है कि वे स्वयं को जन्म दें.
धरती पर इंसान को अनगिनत मौके मिलते है की वो जनम लेते रहे
वो  समाज के गर्भ के गंदे  बेहूदगी  से भरे सड़े हुए पानी से बाहर निकले
जिस में ज़्यादातर लोगों का अस्तित्व घिसटता रहता है.

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