बुधवार, 22 जनवरी 2014

तुम्हे बुरा नहीं मानना चाहिए।



धरना और अनशन जनतंत्र के लिए अच्छा नहीं।
किसानो का जल सत्यागृह जनतंत्र के लिए अच्छा नहीं।
आदिवासियो का जमीन और पेड़ो से लिपट कर विरोध करना जनतंत्र के लिए अच्छा नहीं।
हिंसात्मक प्रदर्शन किया तो हम आपको असामाजिक और अराजक घोषित कर देंगे।
और हथियार उठा लिए तो हम आपको देशद्रोही घोषित कर देंगे।

क्योंकि हमने तुम्हे आज़ादी दी है। .
मैकडोनाल्ड और के ऍफ़ सी में खाने कि आज़ादी
एयर कंडीशन मॉल में आलू टमाटर खरीदने कि आज़ादी
पांच सौ रुपये कि टिकट लेकर फ़िल्म देखने कि आज़ादी।
आई पी एल और बिग बॉस जैसी चीजे देखने कि आज़ादी।
हमने दिल्ली कि सड़ी गर्मी में आपको आइस स्केटिंग करने कि आज़ादी दी है।
हमने शहर शहर में वाटर पार्क और फन सिटी में हुल्लड़बाजी करने कि आज़ादी दी है।
हुक्का बार खुलवाये ,
गाँव गाँव तक दारु पहुचाई ,
मसाज पार्लर खुलवाये,
एक फ़ोन पर एस्कार्ट सर्विस उपलब्ध करवायी,
मात्र 20 हजार में थाईलैंड घुमक्कड़ी के पैकेज दिलवाये,
दुनिया भर कि महँगी महँगी गाड़ियो से बाजार भर दिए,
वैष्णो देवी दर्शन के लिए हेलिकॉप्टर लगवाया,
तिरुपति दर्शन के लिए वी आई पी टिकट उपलब्ध करवाया !

अब क्या चाहते हो तुम लोग ??
पूरा बाजार खुल्ला पड़ा है तुम्हारे लिए।
अगर है प्रतिभा , अगर है योग्यता तो कमाओ और इस आज़ादी के मजे लूटो।
लेकिन इस आज़ादी का विरोध किया तो भाई हमें भी तुम्हे रोकना तो पडेगा ही।
इसमें तुम्हे बुरा नहीं मानना चाहिए।

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