मंगलवार, 27 नवंबर 2012

देशभक्ति का फैशन

भारत एक फैशनेबल मुल्क है,,,
जह कई तरह के फैशन आते जाते रहते है..आजकल फैशन है देशभक्ति का और समाज को बदलने का. जाहिर है जब फैशन है तो इसको मार्केटिंग करने वाले रोल मॉडल भी जरूर होंगे.
तो ये रोल मॉडल है एक चोकलेटी हीरो आमिर खान, एक NGO भिखमंगा अरविन्द केजरीवाल, एक NGO दलाल किरण बेदी . एक अनशन एक्सपर्ट अन्ना हजारे , एक संत के रूप में द्धोंगी रामदेव, और एक काल्पनिक प्रेमगीत और हवाई दुनिया के प्रेमगीत गाने वाला भांड कुमार विश्वास.
आज आमिर खान के बारे में बात करते है ,बाकियों की पोल कभी बाद में खोलेंगे,.

तो पहला ड्रामेबाज है आमिर खान - जिसने ३ करोड़ रूपये पर एपिसोड लेकर एक जबरदस्त मनोरंजक सीरियल बनाया और लोगो को रुला कर खूब मनोरंजन किया और समस्याओं का निहायत ही अवैज्ञानिक समाधान देकर कुछ NGO के लिए लोगो से पैसा इकठ्ठा किया. नीता अम्बानी भाभी का एक दयालु रूप पेश करके भारत के नम्बर एक खून चूसने वाले पूंजीपति रिलायंस की कंपनी का एक हमदर्दी भरा इमेज बनाया.सहानुभूति बटोरने के लिए प्रोग्राम के अंत में एक दर्द भरा गाना बजाते थे जो गाता था राम संपत, ज्ञात रहे की ये वोही संगीत्कार / गायक है जिसने आमिर की फिल्म डेल्ही बेली में "भाग भाग डी के बोस , बोसडीके ,बोसडीके ,बोसडीके " जैसा कालजयी गीत बना कर भारत के युवा वर्ग को एक नयी क्रांतिकारी दिशा दी।

दहेज़ , कन्या भ्रूण हत्या , जाप पात छुआ छूत , और इसमें दिखाई हर सामाजिक समस्या का समाधान इस आदमी ने लगभग व्यक्तिगत समस्या बता कर हर इंसान को मंथन करने और सुधरने के सलाह दे डाली जैसे की आध्यात्मिक लोग कहते है "पहले खुद जागो ,,,तभी समाज जागेगा "..
पूरे 13 एपिसोड में कही भी पूंजीवादी शोषण कारी सिस्टम का जिक्र तक नहीं हुआ,,,,भारत में आर्थिक धार्मिक और जातिगत असमानता की वजह से उत्पन्न अंतरविरोधो का जिस तरह पूंजीपति लोग फायदा उठाते है उस विषय को छुआ तक नहीं गय.
फिलहाल जो प्रोग्रम रिलायंस जैसी कंपनी के सहयोग से बना हो उससे उम्मीद भी क्या की जा सकती है। लेकिन आमिर खान जो की इस प्रोग्राम के लिए 2 साल के सर्वे और अपनी मेहनत के गुणगान करता फिर रहा था. उसकी साड़ी पोल पट्टी खुल गयी ,आज देखिये वो कही भी सीन में नहीं है, क्योंकि उसका उद्देश्य सिर्फ अपनी तथाकथित समाज सेवा की भावनाओं को बहलाना और पैसा कमाना था, बिना मानव् समाज और इसके वैज्ञानिक दर्शन को समझे बिना ऐसे इंसान से ऐसे ही प्रोग्राम की उम्मीद की जा सकती है. पहले ये इंसान ऐसे प्रोग्राम बना कर आपके घर परिवार में एक महा पुरुष की इमेज बना लेता है फिर इस्सी इमेज को भुनाता है और आपको अपनी फिल्मे दिखाने के लिए सिनेमा हाल तक खीच के लाता है,,फिर डेल्ही बेली जैसी फिल्म बना कर युवाओं की कुंठाओं को बाहर निकाल कर पैसा कमाता है,
ये मुनाफे पे आधारित व्यवस्था के ऐसे भक्त है जो सत्यमेव जयते में घडी घडी टसुए बहा कर पैसा कमाते है. फिर बेसिर पैर की फिल्मे बना कर उसके द्वारा फैलाए जाने वाले गंदे कल्चर को जस्टिफाई करते फिरते है .,,,आमिर खान कहता है की गालिया समाज में दी जाती है . फिर इन्हें 18 साल से ऊपर वालो को दिखाने में क्या हर्ज है.
फिल्म के एक द्रश्य में जब एक हीरो एक वेश्यागमन करता है ,,,और वो उससे पैसे मांगती है तो वो उसकी छाती दबा कर उसका हिसाब बराबर करने की बात कहता है , येही वो कामुक कुंठाए है जो आज का युवा वर्ग अपने दिमाग में लिए सड़क पर हर आने जाने वाली लड़की को लगभग "खा" जाने वाली नजरो से देखता है . और ऐसी फिल्मे इसमें आग में घी का काम करती है,,,इसी गंदे कल्चर की वजह से गुवाहाटी जैसी घटनाए , गैंग रेप जैसी घटनाएं होती है और फिर ये लोग टीवी प्रोग्राम बना कर उससे भी पैसा कमा ले जाते है,,,,

समाज में सारी असमानताए और गन्दगी सिर्फ और सिर्फ पूंजीवादी शोषण कारी सिस्टम से कही न कही जुडी हुई है,क्योंकि हर चीज से सिर्फ पैसा कमाया जाता है ,,चाहे वो सत्यमेव जयते जैसा प्रोग्राम हो या डेल्ही बेली जैसी फिल्म।।।
और अंत में एक महान इंसान की कही हुई बात से ये पोस्ट ख़तम करता हूँ।।
"तथाकथित स्वास्थ्य मनोरंजन ,,,,सिर्फ यथास्तिथि को बनाए रखने में किया गया एक प्रचार मात्र होता है "

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