बीजेपी समर्थको की दोगली मानसिकता और अपरिपक्वता की पोल खोल -
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ज्यादा दिन नहीं हुए,,,बस आज से 7-8 महीने पहले की ही बात है,,आप किसी भी
सोसल साईट पर अगर कुछ भी अन्ना-केजरीवाल और उनके आन्दोलन के बारे में
सवाल उठाते थे तो आपको शायद तमाम गालिया सुनाने को मिलती थी।।..कांग्रेसी
कुत्ता, मुल्ला,पाकिस्तानी , देशद्रोही आदि आदि,,,
ये वो लोग थे जिनके सबकांसियास माइंड में शायद अन्ना के आन्दोलन का मतलब कांग्रेस का नुक्सान और बीजेपी का फायदा दिख रहा था।।
लेकिन जैसे जैसे अन्ना और उनकी टीम ने बीजेपी को घेरना शुरू किया ...इनके
सुर एकदम से बदल गए,,,,केजरीवाल को येही लोग देशभक्त बताते थे,,,और जैसे ही
केजरीवाल ने बीजेपी कि पोल खोली इन्होने उसे भी अलंकृत भाषा से नवाजना
शुरू कर दिया,,,,,खुजलीवाल , खुजलीवाला कुत्ते आदि आदि,,,
और आगे बढे तो इन्होने फिर जेठमलानी और कटियार को भी लपेटा आजकल
गुरुमूर्ति और वैद्य को भाषाई बलात्कार का शिकार बना रहे है।।।(हां इनकी
खिलाफत का कारण ये लोग भले ही धार्मिक आलोचना बताते हो लेकिन मूल में वोही
भाव है की बीजेपी का नुकसान न होने पाए ) शायद आने वाले time में ये रामदेव
को भी गद्दार या कंग्रेस्सी बताएँगे,,,बस रामदेव का इनके खिलाफ मुह्ह
खोलने की देर है ..
ये सब वो लोग थे जिनका कोई भी सैधांतिक
विचाराधार न होकर सिर्फ बीजेपी और मोदी की अंधभक्ति से सरोकार था,,,ये लोग
आज भी नहीं समझ पाए की देश की असली समस्या देशी विदेशी पूँजी द्वारा भारत
के सस्ते श्रम और प्राक्रतिक स्रोतों की लूट ही मुख्य कारण है,,,,,और
कांग्रेस ,बीजेपी और अन्य दल सिर्फ इनके दलालों के रूप में काम करते है,,,,
इन लोगो की अंधभक्ति को और भी ज्यादा बल फासिसम विचारों से तराशा जाता
है,,,हिन्दू मुस्लिम पाकिस्तानी और दलित अंतरविरोधो के द्वारा,,,,,ताकि
जनता आपस में ही लडती रहे और पूंजीपतियों की लूट बदस्तूर जारी
रहे,,,,कांग्रेस आये या बीजेपी,,,,इन्हें कोई फरक नहीं पड़ने वाला। ,क्योंकि आज कांग्रेस ,बीजेपी नहीं एक सम्पूर्ण व्यवस्था परिवर्तन नवजनवादी क्रांति की जरुरत
है।।।
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