ये बात आज से 12 साल पहले की है जब दिल्ली में मेट्रो रेल का लगभग अपने प्रथम चरण का काम पूरा हो चूका था और पहली मेट्रो चलनी शुरू हो चुकी थी। उन्ही दिनों हमारे पुराने मालिक साब प्रिंस चार्ल्स भारत की यात्रा पर आये हुए थे , ,,और दिल्ली सरकार उन्हें मेट्रो रेल दिखाने के लिए ले गयी, उसके अगले दिन तमाम अखबारों के फ्रंट पेज इस न्यूज़ से भरे पड़े थे। सुबह सुबह चाय पीते हुए जब उन्ही में से एक एक न्यूज़ पेपर के फ्रंट पेज का टाइटल पढ़ा तो मेरी वो ठाहाकेदार हंसी छूटी की मैंने शुक्र मनाया की कोई मेरे सामने नहीं बैठा था वरना चाय सीधे उसके चहरे पर जाती ....टाइटल कुछ यूं था।
अभिभूत हुए युवराज,,,,,,,कहा,,,"ऐसी टेक्नोलोजी दुनिया में सिर्फ भारत के पास "
अभिभूत हुए युवराज,,,,,,,कहा,,,"ऐसी टेक्नोलोजी दुनिया में सिर्फ भारत के पास "
अब या तो अंग्रेज शहजादे को इतनी समझ नहीं की जब उसके पुरखो ने लगभग आधी दुनिया के उद्योगों को जान बूझ कर बर्बाद किया अपने बाजार को बरकरार रखने के लिए , तो फिर उनकी सबसे बड़ी प्रयोगशाला भारत ने कॉमनवेल्थ में रहते रहते ये तकनीक कैसे विकसित कर डाली। या फिर मेट्रो वालो ने उन्हें कोरिया से रेल के डिब्बे मंगवाने की बात ही नहीं बतायी . खैर जो भी हो अध्धे से ज्यादा भारतवासी ये पढ़कर फूल के कुप्पा हो गए , और हो भी क्यों नहीं अरे हमारे ही देश तो है जिसने सुनीता विलियम्स जैसी होनहार बेटी नासा को दी .ये बात अलग है की भारत के मीडिया को भी ये बात तब पता चली जब किसी ने बीबीसी में एक इंटरव्यू देते समय उनका नाम पढ़ लिया .
पिछले दिनों जब विज्ञानिको ने गॉड डैम पार्टिकल की खोज करी तो भारतीय इलेक्ट्रोनिक मीडिया ने बिना समय गवाए अपनी पंचायत जमा ली , और लगा उसकी परते उखाड़ने अपने रटे रटाये बेसिर पैर के जुमलो के साथ।।।कुछ पंच लाइन यहाँ दे रहा हूँ जो मैंने उस दौरान टीवी पर देखी
1- "मिल गए भगवान् "!
2- वैज्ञानिको ने भी माना "कण कण में है भगवान् "!
3 - वेदों की सत्यता पर पश्चिमी वज्ञानिको की मुहर !
सबसे मजेदार कमेंट् तो एक संत महाराज ने दिया . उन्होंने बड़ी लापरवाही से अंगडाई लेते हुए कहा .."अच्छा .......गॉड पार्टिकल मिल गया ? , चलो कोई बात नहीं देर आये दुरुस्त आये.....हम तो हजारो सालो से येही बात कह रहे थे " की पार्टिकल पार्टिकल में गॉड है .
1- "मिल गए भगवान् "!
2- वैज्ञानिको ने भी माना "कण कण में है भगवान् "!
3 - वेदों की सत्यता पर पश्चिमी वज्ञानिको की मुहर !
सबसे मजेदार कमेंट् तो एक संत महाराज ने दिया . उन्होंने बड़ी लापरवाही से अंगडाई लेते हुए कहा .."अच्छा .......गॉड पार्टिकल मिल गया ? , चलो कोई बात नहीं देर आये दुरुस्त आये.....हम तो हजारो सालो से येही बात कह रहे थे " की पार्टिकल पार्टिकल में गॉड है .
काश अगर ये बात किसी तरह स्टीफन हाकिन्स सुन लेते तो कसम से अपनी पहिया कुर्सी से उठ कर उस पंडत की वो धुनाई करते की बस पूछो मत . अरबो डालर की लागत और हजारो वज्ञानिको के अनुभव और दिन रात की मेहनत के बाद हमें ये पता चल पाया की एक कण और भी है जो हर चीज में गति और परस्पर जोड़े रखने के लिए जिम्मेदार होता है . जिसे साइंसदानो ने गॉड पार्टिकल का नाम दिया . और हमारे पंडितो ने धैड़ धनी से उसपर अपनी मुहर लगा मारी .वैसे कोई आश्चर्य नहीं है क्यो हमारे पास तो हजारो सालो पहले से ही एविएसन तकनीक भी थी , और एटॉमिक इंजिनीरिंग तो हमने तब डेवलप कर ली थी जब अमेरिका में मानव सभ्यता अमीबा और पैरामिसियम वाली अवस्था में ही थी .हां ये बात अलग है की उसकी सुविधा सिर्फ राम , कुबेर , इंद्र जैसे शशक वर्ग के लोग ही उठा सकते थे आम आदमी नहीं .लेकिन बड़ा अजीब अनबैलंस टायप का विज्ञान था उस समय , हवा में उड़ने के लिए तो पुष्पक विमान और जमीन पर और यातायात के साधनों के नाम पर सिर्फ घोडा गाडी या बैल गाडी नो ट्रेन नो बस नो ट्राम डाइरेक्ट एयर ट्रेवलिंग। या तो ये हो सकता है कि सिर्फ राजा महाराजो और शशक वर्ग के लिए सुविधा के अनुसार ही साइंस का विकास किया गया होगा, ?, कह नहीं सकते .
कुछ ऐसी ही कहानी उस समय के एटम बम्ब की है, जिसे ब्रह्माश्त्र कहते थे . पंडितो की जमात कहती है की ये आज के हथियार तो कुछ भी नहीं . उस समय का ब्रह्मश्त्र तो आज के हजारो परमाणु बमों के बराबर शक्तिशाली और विनाशक था . मैंने कही पढ़ा था की आज दुनिया में सबसे शक्तिशाली सिर्फ 20 बम पूरी दुनिया को ख़तम कर सकते है, लेकिन हमारे सनातनी वैदिक युग में एक ब्रह्मास्त्र हजारो बमों के बराबर अकेला था . और गाहे बगाहे ये लोग ब्रह्म्शात्र चला भी देते थे। अब उस समय के शूरवीरो की डैमेज कंट्रोलिंग टेक्नीक मानने वाली है की वो सिर्फ एक इंसान को ही टारगेट करके मारते थे और बाकी उसकी मारक क्षमता और विकिरण से किसी का कोई नुक्सान नहीं होता था . ये बात अलग है की अपनी कामइच्छाओ को कभी कंट्रोल नहीं कर सके और हर दूसरी कथा में किसी न किसी अबोध कन्या के साथ वासनाओं के वशीभूत होकर समागम करते रहे .और शायद राजाओं ने परमाणु ऊर्जा को सिर्फ हथियारों के लिए ही युस किया होगा और उससे बिजली भी बन सकती है ये शायद भूल गए होंगे . तभी एडिसन बेचारे को मौक़ा मिला अपनी प्रतिभा दिखाने का .
वैसे हमारे वेदों में हर चीज मौजूद थी . वो तो सत्यानाश हो जर्मनी वालो का जो हमारे वेद चुरा के भाग गए और इतना विकास कर लिया .......स्स्स्साले चोटटे कहीके . चलो कोई बात नहीं चलता है.असली हथियार तो अभी हमारे पास हि है "लिंग पुराण ".
कभी कभी लगता है की अमेरिकी फिल्म और स्टार वार में जो भयानक युद्ध दिखाया है , वो तो हमारे मुल्क में हजारो साल पहले ही लड़ा जा चुका था , मतलब की वो सब भी हमारे ही देश के युद्धों से प्रेरित है , और अमेरिकियों की बदतमीजी देखिये एक डिस्क्लेमर भी नहीं डालते अपनी फिल्मो में एहसान फरामोश . सोचता हूँ की काश हिंदू समाज ने इतने पाप नही किये होते तो आज ये सब तकनीक हमारे पास होती ओर शायद अमेरिका कि जगह हम लोग इस दुनिया को अपने हथियारों और प्राचीन विज्ञान के के दम पर हड़का रहे होते . कोई बात नहीं , उम्मीद नहीं खोनी चाहिए क्योंकि बाबा रामदेव ने कहा है की भारत फिर से विश्व गुरु बनेगा एक दिन।
कुछ ऐसी ही कहानी उस समय के एटम बम्ब की है, जिसे ब्रह्माश्त्र कहते थे . पंडितो की जमात कहती है की ये आज के हथियार तो कुछ भी नहीं . उस समय का ब्रह्मश्त्र तो आज के हजारो परमाणु बमों के बराबर शक्तिशाली और विनाशक था . मैंने कही पढ़ा था की आज दुनिया में सबसे शक्तिशाली सिर्फ 20 बम पूरी दुनिया को ख़तम कर सकते है, लेकिन हमारे सनातनी वैदिक युग में एक ब्रह्मास्त्र हजारो बमों के बराबर अकेला था . और गाहे बगाहे ये लोग ब्रह्म्शात्र चला भी देते थे। अब उस समय के शूरवीरो की डैमेज कंट्रोलिंग टेक्नीक मानने वाली है की वो सिर्फ एक इंसान को ही टारगेट करके मारते थे और बाकी उसकी मारक क्षमता और विकिरण से किसी का कोई नुक्सान नहीं होता था . ये बात अलग है की अपनी कामइच्छाओ को कभी कंट्रोल नहीं कर सके और हर दूसरी कथा में किसी न किसी अबोध कन्या के साथ वासनाओं के वशीभूत होकर समागम करते रहे .और शायद राजाओं ने परमाणु ऊर्जा को सिर्फ हथियारों के लिए ही युस किया होगा और उससे बिजली भी बन सकती है ये शायद भूल गए होंगे . तभी एडिसन बेचारे को मौक़ा मिला अपनी प्रतिभा दिखाने का .
वैसे हमारे वेदों में हर चीज मौजूद थी . वो तो सत्यानाश हो जर्मनी वालो का जो हमारे वेद चुरा के भाग गए और इतना विकास कर लिया .......स्स्स्साले चोटटे कहीके . चलो कोई बात नहीं चलता है.असली हथियार तो अभी हमारे पास हि है "लिंग पुराण ".
कभी कभी लगता है की अमेरिकी फिल्म और स्टार वार में जो भयानक युद्ध दिखाया है , वो तो हमारे मुल्क में हजारो साल पहले ही लड़ा जा चुका था , मतलब की वो सब भी हमारे ही देश के युद्धों से प्रेरित है , और अमेरिकियों की बदतमीजी देखिये एक डिस्क्लेमर भी नहीं डालते अपनी फिल्मो में एहसान फरामोश . सोचता हूँ की काश हिंदू समाज ने इतने पाप नही किये होते तो आज ये सब तकनीक हमारे पास होती ओर शायद अमेरिका कि जगह हम लोग इस दुनिया को अपने हथियारों और प्राचीन विज्ञान के के दम पर हड़का रहे होते . कोई बात नहीं , उम्मीद नहीं खोनी चाहिए क्योंकि बाबा रामदेव ने कहा है की भारत फिर से विश्व गुरु बनेगा एक दिन।
Foreigners are thieves. They simply steal our texts and get it patented in their names!
जवाब देंहटाएंआपकी बात सही है दिव्या जी।, हल्दी , बैंगन, जीरे और ना जाने तमाम देशी चीजो को इन लोगो ने पेटेंट करवा लिया जो भारत में हजारो सालो से इस्तेमाल हो रही थी,
जवाब देंहटाएंलेकिन सवाल ये है की भारत वाले अब तक क्यों सोते रहे , जबकि अन्तराष्ट्रीय नियम क़ानून इन्हें मालूम है, फिर भी ये बाजार पर कब्जा करने वाली पश्चमी देशो की कूट नीतियों को नजरअंदाज करके सोये रहते है .
स्पीचलेस !! :D इधर भी जब गाहे बगाहे ये सुनने को मिलता रहता है की फलानी बात तो हमाये रसूल 1400 साल पहले बता गए थे , इन लोगों से खुद तो कुछ होता नहीं अलबत्ता हर अविष्कार पर मेड इन इंडिया का लेबल चिपकाने में यह महारत हासिल रखते हैं
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया !!
जवाब देंहटाएंलाजवाब....
जवाब देंहटाएंलाजवाब....
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